यहां आई थी।
किशोरी-ओफ ओह! तब तो आज बड़े-बड़े भेदों का पता लगेगा जिन्हें याद करके मेरा जी बेचैन हो जाता था और इस सबब से मैं और भी परेशान थी कि उन भेदों का असल मतलब कुछ मालूम न होता था, अब तो मैं बहुत कुछ तुमसे पूडूंगी और तुम्हें बताना पड़ेगा।
कमलिनी–हाँ-हाँ, तुम्हें सब कुछ मालूम हो जायगा, मगर घबराती क्यों हो, इस समय हम लोगों को केवल यही काम है कि ईश्वर को धन्यवाद दें जिसकी कृपा से हम लोग हजारों दुःख उठाकर ऐसी जगह आ पहुँचे हैं जहाँ हमारे दुश्मन रहते थे और जिसे अब हम अपना घर समझते हैं।
लाड़िली-(किशोरी से) बेशक ऐसा ही है, केवल एक यही बात नहीं और भी कई अद्भुत बातें तुम्हें मालूम होंगी। जरा सब्र करो, सफर की हरारत मिटाओ और आराम करो, जल्दी क्यों करती हो!
रात का समय है और चाँदनी छिटकी हुई। आसमान पर कहीं-कहीं छोटे बादलों के टुकड़े दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं जिनमें कभी-कभी चन्द्रमा छिपता और फिर तेजी के साथ निकल आता है। इस समय रोहतासगढ़ किले के चारों तरफ की मनभावन छटा बहुत भली मालूम पड़ती है। महल की छत पर किशोरी, कामिनी, कमलिनी, लाड़िली, लक्ष्मीदेवी और कमला टहलती हुई चारों तरफ की कैफियत देख रही हैं। इस समय की शोभा, छटा या प्राकृतिक अवस्था जो कुछ भी कहें उन सबके दिल पर जुदे ढंग का असर कर रही है। कमलिनी अपने ध्यान में डूबी हुई है, लक्ष्मीदेवी कुछ और ही सोच रही है, लाडिली किसी दूसरे ही सम्भव-असम्भव के विचार में पड़ी है, किशोरी और कामिनी अलग ही मन के लड्डू बना रही हैं। मगर कमला के दिल का कोई ठिकाना नहीं। उसने जब से यह सुन लिया है कि भूतनाथ गिरफ्तार करके रोहतासगढ़ के कैदखाने में डाल दिया गया है तब से वह तरह-तरह की बातें सोच रही है। भूतनाथ वास्तव में कौन है? उसने क्या कसूर किया? वीरेन्द्रसिंह के ऐयार लोग उससे खुश थे-फिर यकायक रंज क्यों हो गए? और यह तारा कभी-कभी लक्ष्मीदेवी के नाम से क्यों पकारी जाती है? कमलिनी तारा का अदब क्यों करने लग गई? इत्यादि बातों को जानने के लिए उसका जी बेचैन हो रहा है मगर अभी तक किसी ने इन बातों का जिक्र उससे न किया है। हाँ, इस समय इन्हीं विषयों पर बात करने का वादा है परन्तु कमला इसी बात का मौका ढूंढ़ रही है कि ये सब एक ठिकाने बैठ जाय तो बातों का सिलसिला छेड़ा जाय।
घण्टे-भर तक टहल-टहलकर चारों ओर देखने के बाद सबकी सब एक ठिकाने