पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/९७

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इस पुल के दोनों बगल मुसाफिरों के आराम के लिए बारह दालान बने हुए थे और उसी जगह से पुल के नीचे उतरने के लिए छोटी-छोटी सीढ़ियाँ भी बनी हुई थीं। ये दसों आदमी जब उस पर पहुँचे तो नागर ने श्यामलाल से पूछा, “कहिये इसी पार ठहरने का इरादा है या उस पार चल कर?" जिसके जवाब में श्यामलाल ने कहा, "बिना उस पार गये ठीक न होगा।"

अब ये लोग पुल के उस पार रवाना हुए, मगर आधी दूर से ज्यादे न गये होंगे कि सामने से आते हुए दो घोड़ों की आहट मिलने लगी जिसे सुनते ही श्यामलाल ने कहा, "लीजिए, हम लोगों को ज्यादे ठहरना न पड़ा। निःसन्देह ये वे ही सवार हैं जिन्हें हम लोग गिरफ्तार किया चाहते हैं। बस अब जल्दी करना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि ये लोग तेजी के साथ निकल जाये क्योंकि ये घोड़ों पर सवार हैं और हम लोग पैदल।"

नागर ने अपनी कमर से खंजर निकाल लिया जिसे वह तिलिस्मी समझे हुए थी और इसके बाद अपने आदमियों की तरफ देख के बोली, "देखो ये सवार जाने न पावें, इन्हीं को गिरफ्तार करने के लिए हम लोग आये हैं!"

बात की बात में वे दोनों सवार पास आ गये। नागर के सिपाही म्यान से तलवार निकाल कर खड़े हो गए और ललकार कर बोले, "खबरदार, आगे मत बढ़ना!" मगर इतने में ही मालूम हुआ कि पीछे की तरफ से भी कई आदमी दौड़े आ रहे हैं। उस समय नागर घबड़ा गई और उसे निश्चय हो गया कि अब यहाँ से बच कर निकल जाना मुश्किल है क्योंकि हमलोग दोनों तरफ से घिर गये, हाँ तिलिस्मी खंजर की बदौलत अलबत्ते बच सकते हैं। नागर ने तिलिस्मी खंजर का (जो वास्तव में असली न था) कब्जा दबाया मगर किसी तरह की चमक पैदा न हुई। तब उसने फिर कर श्यामलाल की तरफ देखा मगर उसे कहीं न पाया। अब उसके ताज्जुब की हद न रही और घबराहट के मारे वह ऐसी बौखला गई कि थोड़ी देर तक तन-बदन की भी सुध जाती रही। इस बीच में वे आदमी भी जो पीछे से आ रहे थे आ पहुँचे और नागर के सिपाहियों पर टूट पड़े। वे लोग भी गिनती में उतने ही थे जितने नागर के सिपाही थे, मगर नागर के सिपाही इतने दिलावर और मजबूत न थे कि उन आठों के मुकाबले में ठहर सकते। नागर डर के मारे चिल्ला कर एक किनारे हट गई और भागना चाहती थी मगर मौका न मिला। वे दोनों सवार नागर की आवाज सुन कर पहचान गये कि वह औरत है। एक ने घोड़े से उतर कर उसे गोद में उठा लिया और उसके हाथ से खंजर छीन कर उसे दूसरे सवार के आगे बैठा दिया। इसके बाद खुद भी अपने घोड़े पर सवार होकर उसने ऊँची आवाज में न मालूम किससे पूछा- "यहाँ केवल एक नागर ही औरत है या और भी कोई औरत है?" इसके जवाब में किसी ने कुछ दर से पुकार कर कहा, "अगर कोई औरत हाथ आ गई तो ले भागो और समझो कि यही नागर है।" इस जवाब को नागर ने भी सुना और पहचान गई कि यह श्यामलाल की आवाज है। अपने सवाल का जवाब पाते ही वे सवार उत्तर की तरफ रवाना हो गये।