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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/९९

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और कामिनी को कैद से छुड़ाया था तो उन दोनों को भी कमलिनी की इच्छानुसार इसी तिलिस्मी मकान में पहुँचा दिया था। पहुँचाते समय देवीसिंह और भूतनाथ को साथ लिए हुए स्वयं राजा गोपालसिंह किशोरी तथा कामिनी के संग आये थे। उस समय का थोड़ा-सा हाल यहाँ लिखना उचित जान पड़ता है।

किशोरी और कामिनी को लिए हुए जब राजा गोपालसिंह उस मकान के पास पहुँचे तो खबर करने के लिए भूतनाथ को तारा के पास भेजा। उस समय तारा किसी काम के लिए तालाब के बाहर आई हुई थी जब उसकी भूतनाथ से मुलाकात हुई। भूतनाथ को देखकर तारा खुश हुई और उससे कमलिनी का समाचार पूछा जिसके जवाब में भूतनाथ ने उस दिन से जिस दिन कमलिनी तारा से आखिरी मर्तबे जुदा हुई थी आज तक का हाल कह सुनाया जिसमें राजा गोपालसिंह का भी हाल था और अन्त में यह भी कहा कि "किशोरी और कामिनी को कैद से छुड़ा कर कमलिनी की इच्छानुसार उन दोनों को यहाँ पहुँचा देने के लिए स्वयं राजा गोपालसिंह आये हैं, थोड़ी ही दूर पर हैं और तुमसे मिलना चाहते हैं।"

तारा को इसका गुमान भी न था कि राजा गोपालसिंह अभी तक जीते हैं या मायारानी के कैदखाने में हैं। आज भूतनाथ की जुबानी यह हाल सुनकर खुशी के मारे तारा की अजब हालत हो गई। भूतनाथ ने उसके चेहरे की तरफ देखकर गौर किया तो मालूम हुआ कि राजा गोपालसिंह के छूटने की खुशी बनिस्बत कमलिनी के तारा को बहुत ज्यादा हुई, बल्कि वह सोचने लगा कि ताज्जुब नहीं कि खुशी के मारे तारा की जान निकल जाय, और वास्तव में यही बात थी भी। तारा के खूबसूरत भोले चेहरे पर हँसी तो साफ दिखाई दे रही थी, मगर साथ ही हँसी के गला फँस जाने के कारण उसकी आवाज रुक-सी गई थी, वह भूतनाथ से कुछ कहना चाहती थी, मगर कह नहीं सकती थी। आँखों से आँसुओं की बूंदें गिर रही थीं और बदन में पल-पल भर में हलकी कॅंप कंपी हो रही थी।

जब भूतनाथ ने तारा की यह हालत देखी तो उसे बड़ा ही ताज्जुब हुआ, मगर यह सोचकर उसने अपने ताज्जुब को दूर किया कि अक्सर ऐसा भी हुआ करता है कि अगर घर के स्वामी पर आई हुई कोई बला टल जाती है तो बनिस्बत सगे रिश्तेदारों के ताबेदारों को विशेष खुशी होती है। मगर इतना सोचने पर भी भूतनाथ की यह इच्छा हुई कि तारा की इस बढ़ी हुई खुशी को किसी तरह कम कर देना चाहिए, नहीं तो ताज्जुब नहीं कि इसे किसी तरह का शारीरिक कष्ट उठाना पड़े। इसी विचार से भतनाथ ने तारा की तरफ देख के कहा "भूतनाथ–राजा गोपालसिंह छूट गये सही, मगर अभी उनकी जिन्दगी का भरोसा न करना चाहिए।

तारा-(चौंककर) सो क्यों? सो क्यों?

भूतनाथ - यह बात मैं इस विचार से कहता हूँ कि मायारानी कुछ न कुछ बखेड़ा जरूर मचावेगी और इसके अतिरिक्त तमाम रिआया को राजा गोपालसिंह के मरने का विश्वास हो चुका है, जिसे कई वर्ष बीत चुके हैं, अब देखना चाहिए उन लोगों