पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/१७२

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नकली बलभद्रसिंह--पूछो।

लक्ष्मीदेवी--जिन दिनों मेरी शादी होने वाली थी और जमानिया जाने के लिए मैं पालकी पर सवार होने लगी थी, तब मेरी क्या दुर्दशा हुई थी और मैं किस ढंग से पालकी पर बैठाई गई थी?

नकली बलभद्रसिंह--(कुछ सोचकर) अब इतनी पुरानी बात तो मुझे याद नहीं है। मगर मैं सच कहता हूँ कि मैं ही बलभद्र

इन्द्रदेव--(क्रोध से सरयूसिंह से) बस, अब विलम्ब करने की आवश्यकता नहीं।

इतना सुनते ही सरयूसिंह ने धक्का देकर नकली बलभद्र को गिरा दिया और औजार डालकर उसकी दाहिनी आँख निकाल ली। नकली बलभद्रसिंह, जिसे अब हम जयपाल के नाम से लिखेंगे, दर्द से तड़पने लगा और बोला, "अफसोस, मेरे हाथ-पैर बंधे हुए हैं, अगर खुले होते तो बेदर्दी का मजा चखा देता।"

इन्द्रदेव--अभी अफसोस क्या करता है, थोड़ी देर में तेरी दूसरी आँख भी निकाली जायगी और उसके बाद तेरा एक-एक अंग काटकर अलग किया जायगा ! (सरयूसिंह से) हाँ, सरयूसिंह, अब इसकी दूसरी आँख भी निकाल लो और इसके बाद। - दोनों पैर काट डालो।

जयपालसिंह--(चिल्लाकर) नहीं-नहीं ! जरा ठहरो ! मैं तुम्हें बलभद्रसिंह का सच्चा हाल बताता हूँ।

इन्द्रदेव--अच्छा बताओ।

जयपालसिंह--पहले मेरी आँख में कोई दवा लगाओ जिसमें दर्द कम हो जाय, तब मैं तुमसे सब हाल कहूँगा।

इन्द्रदेव--ऐसा नहीं हो सकता, बताना हो तो जल्द बता, नहीं तेरी दूसरी आँख भी निकाल ली जायगी।

जयपालसिंह--अच्छा, मैं अभी बताता हूँ। दारोगा ने उसे अपने बँगले में कैद कर रखा था, मगर अफसोस, मायारानी ने उस बँगले को वारूद के जोर से उड़ा दिया, उम्मीद है, उसी में उस बेचारे की हड्डी-पसली भी उड़ गई होगी।

इन्द्रदेव--(सरयूसिंह से) सरयूसिंह, यह हरामजादा अपनी बदमाशी से बाज न आवेगा, अब तुम एक काम करो, इसकी जो आँख तुमने निकाली है, उसके गडहे में पिसी हुई लाल मिर्च भर दो। इतना सुनते ही जयपाल चिल्ला उठा और हाथ जोड़कर बोला जयपालसिंह-माफ करो, माफ करो, अब मैं झूठ न बोलूंगा, मुझे जरा दम ले लेने दो, जो कुछ हाल है मैं सच-सच कह दूंगा। इस तरह तड़प-तड़पकर जान देना मझे मंजर नहीं। मुझे क्या पड़ी है जो दारोगा का पक्ष करके इस तरह अपनी जान दं, कभी नहीं, अब मैं कदापि तुमसे झूठ न बोलूंगा।

इन्द्रदेव--अच्छा-अच्छा, दम ले ले। कोई चिन्ता नहीं, जब तू बलभद्रसिंह का हाल बताने को तैयार ही है तो मैं तुझे क्यों सताने लगा।

जयपालसिंह--(कुछ ठहर कर) इसमें कोई शक नहीं कि बलभद्रसिंह अभी तक