पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/२१०

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जिस राह से कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह को राजा गोपालसिंह इस बाग में लाये थे उसी राह से जाकर ये दोनों भाई उस कमरे में पहुंचे जो कि बाजे वाले कमरे में जाने के पहले पड़ता था और जिसमें महराबदार चार खम्भों के सहारे एक बनावटी आदमी फाँसी पर लटक रहा था। इस कमरे का खुलासा हाल एक दफे लिखा जा चुका है, इसलिए यहाँ पुनः लिखने की कोई आवश्यकता नहीं जान पड़ी। पाठकों को यह भी याद होगा कि इन्दिरा का किस्सा सुनने के पहले ही कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह उस तिलिस्मी बाजे की आवाज ताली देकर अच्छी तरह सुन-समझ चुके हैं। यदि याद न हो तो तिलिस्म सम्बन्धी पिछला किस्सा पुनः पढ़ जाना चाहिए क्योंकि अब ये दोनों भाई तिलिस्म तोड़ने में हाथ लगाते हैं।

कमरे में पहुंचने के बाद दोनों भाइयों ने देखा कि फाँसी लटकते हुए आदमी के नीचे जो मूरत (इन्दिरा के ढंग की) खड़ी थी, वह इस समय तेजी के साथ नाच रही है। कुँअर इन्द्रजीतसिंह ने तिलिस्मी खंजर का एक वार करके उस मूरत के दो टुकड़े कर दिए, अर्थात् कमर से ऊपर वाला हिस्सा काटकर गिरा दिया। उसी समय उस मूरत का नाचना बन्द हो गया और वह भयानक आवाज भी जो बड़ी देर से तमाम बाग में और इस कमरे में भी गूंज रही थी एकदम बन्द हो गई। इसके बाद दोनों भाइयों ने उस बची हुई आधी मूरत को भी जोर करके जमीन से उखाड़ डाला। उस समय मालूम हुआ कि उसके दाहिने पैर के तलवे में लोहे की एक जंजीर जड़ी है, इसके खींचने से दाहिनी तरफ वाली दीवार में एक नया दरवाजा निकल आया।

तिलिस्मी खंजर की रोशनी के सहारे दोनों भाई उस नये दरवाजे के अन्दर चले गए और थोड़ी दूर जाने के बाद और एक खुला हुआ दरवाजा लाँधकर एक छोटी-सी कोठरी में पहुँचे जिसके ऊपर चढ़ जाने के लिए दस-बारह सीढ़ियाँ बनी हुई थीं। दोनों भाई सीढ़ियों पर चढ़कर ऊपर के कमरे में पहुँचे जिसकी लम्बाई पचास हाथ और चौड़ाई चालीस हाथ से कम न होगी। यह कमरा काहे को था, एक मन मोहने वाला छोटा-सा बनावटी बगीचा था। यद्यपि इसमें फूल-बूटों के जितने पेड़ लगे हुए थे सब बनावटी थे, मगर फिर भी जान पड़ता था कि फूलों की खुशबू से वह कमरा अच्छी तरह बसा हुआ है। इस कमरे की छत में बहुत मोटे-मोटे शीशे लगे हुए थे जिसमें से बे-रोक-टोक पहुंचने वाली रोशनी के कारण कमरे भर में उजाला हो रहा था। वे शीशे चौड़े या चपटे न थे; बल्कि गोल गुम्बज की तरह बने हुए थे।

इस छोटे बनावटी बगीचे में छोटी-छोटी मगर बहुत खूबसूरत क्यारियाँ बनी हुई थीं और उन क्यारियों के चारों तरफ की जमीन पत्थर के छोटे-छोटे रंग-बिरंगे टुकड़ों से बनी हुई थी। बीच में एक गोलाम्बर(चबूतरा)बना हुआ था और उसके ऊपर एक औरत खड़ी हुई मालूम पड़ती थी, जिसके बाएँ हाथ में एक तलवार और दाहिने में हाथ भर लम्बी एक ताली थी।