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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 4.djvu/२११

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कुंअर इन्द्रजीतसिंह ने तिलिस्मी खंजर की रोशनी बन्द करके आनन्दसिंह की तरफ देखा और कहा, "यह औरत निःसन्देह लोहे या पीतल की बनी हुई होगी और यह ताली भी वही होगी जिसकी हम लोगों को जरूरत है, मगर तिलिस्मी बाजे ने तो यह कहा था कि 'ताली किसी चलती-फिरती से प्राप्त करोगे', यह औरत तो चलती-फिरती नहीं है, खड़ी है!"

आनन्दसिंह--उसके पास तो चलिए, देखें, वह ताली कैसी है।

इन्द्रजीतसिंह--चलो।

दोनों भाई उस गोलाम्बर की तरफ बढ़े मगर उसके पास न जा सके। तीन-चार हाथ इधर ही थे कि एक प्रकार की आवाज के साथ वहाँ की जमीन हिली और गोलाम्बर (जिस पर पुतली थी) तेजी से चक्कर खाने लगा और उसी के साथ वह नकल औरत (पुतली) भी घूमने लगी जिसके हाथ में तलवार और ताली थी। घूमने के समय उसका ताली वाला हाथ ऊँचा हो गया और तलवार वाला हाथ आगे की तरफ बढ़ गया जो उसके चक्कर की तेजी में चक्र का काम कर रहा था।

आनन्दसिंह--कहिए, भाई जी, अब यह औरत या पुतली चलती-फिरती हो गई या नहीं?

इन्द्रजीतसिंह--हाँ, हो तो गई।

आनन्दसिंह--अब जिस तरह हो सके; हमें इसके हाथ से ताली ले लेनी चाहिए, गोलाम्बर पर जाने वाला तो तुरन्त दो टुकड़े हो जायेगा।

इन्द्रजीतसिंह--(पीछे हटते हुए) देखें, हट जाने पर इसका घूमना बन्द होता है या नहीं।

आनन्दसिंह--(पीछे हटकर) देखिये, गोलाम्बर का घूमना बन्द हो गया ! बस, यही चार हाथ के लगभग चौड़ा काला पत्थर जो इस गोलाम्बर के चारों तरफ लगा है, असल करामात है। इस पर पैर रखने ही से गोलाम्बर घूमने लगता है। (काले पत्थर के ऊपर जाकर) देखिये घूमने लग गया, (हटकर) अब बन्द हो गया। अब समझ गया, इस पुतली के हाथ से ताली और तलवार ले लेना कोई बड़ी बात नहीं। इतना कहकर आनन्दसिंह ने एक छलाँग मारी और काले पत्थर पर पैर रखे बिना ही कूदकर गोलाम्बर के ऊपर चले गये। गोलाम्बर ज्यों-का-त्यों अपने ठिकाने जमा रहा और आनन्दसिंह पुतली के हाथ से ताली तथा तलवार लेकर जिस तरह वहाँ गए थे उसी तरह कूदकर अपने भाई के पास चले आये और बोले- 'कहिये, क्या मजे में ताली ले आए !"

इन्द्रजीतसिंह--बेशक ! (ताली हाथ में लेकर) यह अजब ढंग की बनी हुई है। (गौर से देखकर)इस पर कुछ अक्षर भी खुदे हुए मालूम पड़ते हैं, मगर बिना तेज रोशनी के इनका पढ़ा जाना मुश्किल है!

आनन्दसिंह--मैं तिलिस्मी खंजर की रोशनी करता हूँ, आप पढ़िये।

इन्द्रजीतसिंह ने तिलिस्मी खंजर की रोशनी में उसे पढ़ा और आनन्दसिंह को समझाया, इसके बाद दोनों भाई कूद कर उस गोलाम्बर पर चले गये जिस पर हाथ में