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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१६५

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बाद देने की नीयत से आये हुए हैं, जिनके सबब से यहाँ खूब अमन-चमन हो रहा है और सभी को यह भी विश्वास है कि कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह भी तिलिस्म फतह करते हुए शीघ्र आना चाहते हैं और उनके आने के साथ ही ब्याह-शादी के जलसे शुरू हो जायेंगे। साथ ही इसके भूतनाथ वगैरह के मुकदमे से भी सभी को दिलचस्पी हो रही है, यहाँ तक कि बहुत से लोग तो केवल इसी कैफियत को देखने-सुनने की नीयत से आए हुए हैं।

तिलिस्मी इमारत के बाहर एक छोटा-सा बाजार लग गया है जिसमें जरूरी चीजें तथा खाने का कच्चा गल्ला तथा सब तरह का सामान मेहमानों के लिए मौजूद है और राजा साहब की आज्ञा है कि जिसको जिस चीज की जरूरत हो दी जाय और उसकी कीमत किसी से भी न ली जाय। इस काम की निगरानी के लिए कई नेक और ईमानदार मुंशी मुकर्रर हैं जो अपना काम बड़ा खूबी और नेकनीयती के साथ कर रहे हैं। यह बात तो हुई है, मगर लोगों को आश्चर्य के साथ उस समय और भी आनन्द मिलता है जब एक बहुत बड़े खेमे या पण्डाल के अन्दर कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह की शादी का सामान इकट्ठा होते देखते हैं।

कैदियों को किसी खेमे में जगह नहीं मिली है। बल्कि वे सब तिलिस्मी इमारत के अन्दर एक ऐसे स्थान में रखे गये हैं जो उन्हीं के योग्य है, मगर भूतनाथ बिल्कुल आजाद है और आश्चर्य के साथ लोगों की उँगलियाँ उठवाता हुआ इस समय चारों तरफ घूम रहा है और मेहमानों की खातिरदारी का खयाल भी करता रहता है।

राजा साहब की आज्ञानुसार तिलिस्मी इमारत के अन्दर पहले खण्ड में एक बहुत बड़ा दालान उस आलीशान दरबार के लिए सजाया जा रहा है जिसमें पहले तो भूतनाथ तथा अन्य कैदियों का मुकदमा फैसल किया जाएगा और बाद में दोनों कुमारों के ब्याह की महफिल का आनन्द लोगों को मिलेगा और इसे लोग 'दरबारे-आम' के नाम से सम्बोधन करते हैं। इसके अतिरिक्त 'दरबारे-खास' के नाम से दूसरी मंजिल पर एक और कमरा सजा कर तैयार हुआ है। उसमें नित्य पहर दिन चढ़े तक दरबार हुआ करेगा और उसमें खास-खास तथा ऐयारी पेशे वाले लोग बैठ कर जरूरी कामों पर विचार किया करेंगे। इस समय हम अपने पाठकों को भी इसी दरबारे-खास में ले चल कर बैठाते हैं।

एक ऊँची गद्दी पर महाराज सुरेन्द्रसिंह और उनके बाईं तरफ वीरेन्द्रसिंह बैठे हुए हैं। सुरेन्द्रसिंह के दाहिने तरफ जीतसिंह और वीरेन्द्रसिंह के बाईं तरफ तेजसिंह बैठे हैं और उनके बगल में क्रमशः देवीसिंह, पण्डित बद्रीनाथ, रामनारायण, जगन्नाथ ज्योतिषीजी, पन्नालाल और भूतनाथ वगैरह बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं और भूतनाथ के बगल में चुन्नीलाल हाथ में नंगी तलवार लिए खड़ा है। उधर जीतसिंह के बगल में राजा गोपालसिंह और फिर क्रमशः बलभद्र सिंह, इन्द्रदेव, भैरोंसिंह वगैरह बैठे हैं और उनके बगल में नाहरसिंह नंगी तलवार लिए खड़ा है और इस बात पर विचार हो रहा है कि कि कैदियों का मुकदमा कब से शुरू किया जाय तथा उस सम्बन्ध में किन-किन बातों या चीजों की जरूरत है।