पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/१६६

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इसी समय चोबदार ने आकर अदब से अर्ज किया––"महल के दरबाजे पर एक नकाबपोश हाजिर हुआ है। उसने पूछने पर भी अपना परिचय नहीं दिया परन्तु दरबार में हाजिर होने की आज्ञा माँगता है।"

इस खबर को सुन कर तेजसिंह ने राजा साहब की तरफ देखा और इशारा पाकर उस सवार को हाजिर करने के लिए चोबदार को हुक्म दिया।

वह नौजवान नकाबपोश सवार जो सिपाहियाना ठाठ के बेशकीमत कपड़ों से अपने को सजाए हुए था, हाजिर होने की आज्ञा पाकर घोड़े से उतर पड़ा। अपना नेजा जमीन में गाड़ कर उसी के सहारे घोड़े की लगाम अटका कर वह इमारत के अन्दर गया और चोबदार के साथ घूमता-फिरता दरबारे-खास में हाजिर हुआ। महाराज सुरेन्द्रसिंह, वीरेन्द्रसिंह, जीतसिंह और तेजसिंह को अदब से सलाम करने के बाद उसने अपना दाहिना हाथ जिसमें एक चिट्ठी थी दरबार की तरफ बढ़ाया और देवीसिंह ने उसके हाथ से पत्र लेकर तेजसिंह के हाथ में दे दिया। तेजसिंह ने राजा सुरेन्द्रसिंह को दिया, उन्होंने उसे पढ़ कर जीतसिंह के हवाले किया और इसके बाद वीरेन्द्र सिंह और तेनसिंह ने भी वह पत्र पढ़ा।

जीतसिंह––(नकाबपोश से) इस पत्र के पढ़ने से जाना जाता है कि खुलासा हाल तुम्हारी जुबानी मालूम होगा!

नकाबपोश––(हाथ जोड़ कर) जी हाँ। मेरे मालिकों ने यह अर्ज करने के लिए मुझे यहाँ भेजा है कि "हम दोनों भूतनाथ तथा और कैदियों का मुकदमा सुनने के समय उपस्थित रहने की इच्छा रखते हैं और आशा करते हैं कि इसके लिए महाराज प्रसन्नता के साथ हम लोगों को आज्ञा देंगे। हम लोग यह प्रतिज्ञापूर्वक कहते हैं कि हम लोगों के हाजिर होने का नतीजा देखकर महाराज प्रसन्न होंगे।

जीतसिंह––मगर पहले यह तो बताओ कि तुम्हारे मालिक कौन हैं, और कहाँ रहते हैं?

नकाबपोश––इसके लिए आप क्षमा करें, क्योंकि हमारे मालिक लोग अभी अपने को प्रकट नहीं करना चाहते और इसलिए जब यहाँ उपस्थित होंगे तो अपने चेहरे पर नकाब डाले होंगे। हाँ, मुकदमा खत्म हो जाने के बाद वे अपने को प्रसन्नता के साथ प्रकट कर देंगे। आप देखेंगे कि उनकी मौजूदगी में मुकदमा सुनने के समय कैसे-कैसे गुल खिलते हैं। हमें आशा है कि इससे महाराज भी बहुत प्रसन्न होंगे।

जीतसिंह––कदाचित तुम्हारा कहना ठीक हो। मगर ऐसे मुकदमों में, जिन्हें घरेलू मुकदमे भी कह सकते हैं, अपरिचित लोगों को शरीक होने और बोलने की आज्ञा महाराज कैसे दे सकते हैं?

नकाबपोश––ठीक है, महाराज मालिक हैं जो उचित समझें करें। मगर इसमें भी कोई सन्देह नहीं कि अगर उस समय हमारे मालिक लोग (केवल दो आदमी) उपस्थित न होंगे तो मुकदमे की बारीक गुत्थी सुलझ न सकेगी, और यदि वे पहले ही से अपने को प्रकट कर देंगे तो...

जीतसिंह––(तेजसिंह से) इस विषय में उचित यही है कि एकान्त में इस नकाब-