पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२३०

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अपना भेद खोलने से इनकार कर दिया और कह दिया कि कुछ दिन सन्न कीजिए फिर आपसे आप हम लोगों का भेद खुल जायगा, फिर तुम क्या चीज हो जो तुम्हारे कहने से हम लोग अपना भेद खोल देंगे?

नकाबपोश की बेरुखी मिली हुई बातें सुनकर यद्यपि भूतनाथ को क्रोध चढ़ आया, मगर क्रोध करने का मौका न देख वह चुप रह गया और नरमी के साथ फि बातचीत करने लगा।

भूतनाथ––आपका कहना ठीक है, मैं इस बात को खूब जानता हूँ, मगर मैं उन भेदों को खुलवाना नहीं चाहता जिन्हें हमारे महाराज जानना चाहते है, मैं तो केवल दो-चार मामूली बातें आप लोगों से पूछना चाहता हूँ जिनका उत्तर देने में न तो आप लोगों का भेद ही खुलता है और न आप लोगों का कोई हर्ज ही होगा। इसके अतिरिक्त मैं वादा करता हूँ कि मेरी बातों का जो कुछ आप जवाब देंगे, उसे मैं किसी दूसरे पर तब तक प्रकट न करूँगा जब तक आप लोग अपना भेद न खोलेंगे।

नकाबपोश––(कुछ सोचकर) अच्छा पूछो, क्या पूछते हो?

भूतनाथ––पहली बात मैं यह पूछता हूँ कि देवीसिंह के साथ मैं आप लोगों के मकान में गया था, यह बात आपको मालूम है या नहीं?

नकाबपोश––हाँ, मालूम है।

भूतनाथ––खैर, और दूसरी बात यह है कि वहाँ मैंने अपने लड़के हरनामसिंह को देखा, क्या वह वास्तव में हरनामसिंह ही था।

नकाबपोश––(कुछ क्रोध की निगाह से भूतनाथ को देखकर) हाँ, था तो सही, फिर?

भूतनाथ––(लापरवाही के साथ) कुछ नहीं, मैं केवल अपना शक ही मिटाना चाहता था। अच्छा अब तीसरी बात यह जानना चाहता हूँ कि वहाँ देवीसिंह ने और मैंने अपनीअपनी स्त्रियों को देखा था, क्या वे दोनों वास्तव में हम दोनों की स्त्रियाँ थीं या कोई और?

नकाबपोश––चम्पा के बारे में पूछने वाले तुम कौन हो? हाँ अपनी स्त्री के बारे में पूछ सकते हो, सो मैं साफ कह देता हूँ कि वह बेशक तुम्हारी स्त्री 'रामदेई' थी।

यह जवाब सुनते ही भूतनाथ चौंका और उसके चेहरे पर क्रोध और ताज्जुब की निशानी दिखाई देने लगी। भूतनाथ को निश्चय था कि उसकी स्त्री का असली नाम 'रामदेई' किसी को मालूम नहीं है, मगर इस समय एक अनजान आदमी के मुँह से उसका नाम सुनकर भूतनाथ को बड़ा ही ताज्जुब हुआ और इस बात पर उसे क्रोध भी चढ़ आया कि मेरी स्त्री इन लोगों के पास क्यों आई, क्योंकि वह एक ऐसे स्थान पर थी जहाँ उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई जा नहीं सकता था, ऐसी अवस्था में निश्चय है कि वह अपनी खुशी से बाहर निकली और इन लोगों के पास आई। केवल इतना ही नहीं, उसे इस बात के खयाल से और भी रंज हुआ कि मुलाकात होने पर भी उसकी स्त्री ने उससे अपने को छिपाया बल्कि एक तौर पर धोखा देकर बेवकूफ बनाया-आदि इसी तरह की बातों को परेशानी और रंज के साथ भूतनाथ सोचने लगा।