पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२३३

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इरादे से मैं आप लोगों का पीछा नहीं करता, क्योंकि मुझे इस बात का निश्चय हो चुका है कि आप लोग मेरे सहायक है। मगर क्या करूँ, अपनी स्त्री को आपके मकान में देखकर हैरान हूँ और मेरे दिल के अन्दर तरह-तरह की बातें पैदा हो रही हैं। आज मैं इसी इरादे से आप लोगों को यहाँ ले आया था कि जिस तरह हो सके, अपनी स्त्री का असल भेद मालूम कर लूँ।

नकाबपोश––'जिस तरह हो सके' के क्या मानी? हम कह चुके हैं कि तुम हमें किसी तरह की तकलीफ नहीं पहुंचा सकते और न डरा-धमका कर ही कुछ पूछ सकते हो, क्योंकि हम लोग बड़े ही जबर्दस्त हैं।

भूतनाथ––अब इतनी ज्यादा शेखी तो न बघारिये, क्या आप ऐसे मजबूत हो गये कि हमारा हाथ कोई काम कर ही नहीं सकता!

नकाबपोश––हमारे कहने का मतलब यह नहीं है, बल्कि यह है कि ऐसा करने से तुम्हें कोई फायदा नहीं हो सकता, क्योंकि हमारे संगी-साथी सभी कोई तुम्हारे भेदों को जानते हैं, मगर तुम्हें नुकसान पहुँचाना नहीं चाहते। हमारी ही तरफ ध्यान देकर देख लो कि तुम्हारे हाथों दुःखी होकर भी तुम्हें दुःख देना नहीं चाहते और जो कुछ तुम कर चुके हो, उसे सहकर बैठे हैं!

भूतनाथ––हमने आपको क्या दुःख दिया है?

नकाबपोश––अगर हम इस बात का कुछ जवाब देंगे तो तुम औरों को तो नहीं, मगर हमें पहचान जाओगे।

भूतनाथ––अगर आपको पहचान भी जाऊँगा तो क्या हर्ज है? मैं फिर प्रतिज्ञापूर्वक कहता हूँ जब तक आप स्वयं अपना भेद न खोलेंगे, तब तक मैं अपने मुँह से कुछ भी किसी के सामने न कहूँगा, आप इसका निश्चय रखिये।

नकाबपोश––(कुछ सोचकर) मगर हमारा जवाब सुनकर तुम्हें गुस्सा और चढ़ आवेगा और ताज्जुब नहीं कि खंजर का वार कर बैठो।

भूतनाथ––नहीं-नहीं, कदापि नहीं, क्योंकि मुझे अब निश्चय हो गया कि आपका यहाँ आना छिपा नहीं है, अगर मैं आपके साथ कोई बुरा बर्ताव करूँगा तो किसी लायक न रहूँगा।

नकाबपोश––हाँ, यह ठीक है और बेशक बात भी ऐसी ही है।(कुछ सोचकर) अच्छा तो अब तुम्हारी उस बात का जवाब देते हैं, सुनो और अपने कलेजे को अच्छी तरह सम्हालो।

भूतनाथ––कहिये, मैं हर तरह से सुनने के लिए तैयार हूँ।

नकाबपोश––उस पीतल वाली सन्दूकड़ी में, जिसके खुलने से तुम डरते हो, जो कुछ है, वह हमारे ही शरीर का खून है, उसे तुम हमारे ही सामने से उठा ले गये थे, और हमारा ही नाम 'दलीपशाह' है।

यह एक ऐसी बात थी कि जिसके सुनने की उम्मीद भूतनाथ को नहीं हो सकती थी और न भूतनाथ में इतनी ताकत थी कि ये बातें सुनकर भी अपने को सम्हाले रहता, उसका चेहरा एकदम जर्द पड़ गया, कलेजा भी धड़कने लगा, हाथ-पैर में कंपकँपी होने