पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/२३८

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कोई चीज उसके मतलब की हो तो उसे निकाल ले। उस समय उस आदमी की सूरत ऐसी न थी कि तुम उसे पहचान सकते, बल्कि वह ठीक एक देहाती पंडित की सूरत में था क्योंकि वह वास्तव में एक ऐयार था, अस्तु, वह हाथ में लोटा लिए हुए कोठरी के बाहर निकला और उस ठिकाने पर गया, जहाँ तुम झुक कर पानी खींच रहे थे। तुम्हें इस बात का गुमान भी न था कि वह तुम्हारे साथ दगा करेगा। मगर उसने पीछे से तुम्हें ऐसा धक्का दिया कि तुम कुएँ के अन्दर जा रहे और उसने तुम्हारे ऐयारी के बटुए पर कब्जा करके जो कुछ अन्दर था, उसे अच्छी तरह देख और समझ लिया, बल्कि कुछ ले भी लिया। क्या तुम्हें आज तक भी मालूम हुआ कि वह कौन था!

भूतनाथ––(ताज्जुब से) नहीं, मैं अभी तक न जान सका कि वह कौन था, मगर इन बातों के कहने से तुम्हारा मतलब ही क्या है?

नया दलीपशाह––मतलब यही है कि तुम जान जाओ कि इस समय वह आदमी तुम्हारे सामने खड़ा है।

भूतनाथ––(क्रोध से खंजर निकाल कर) क्या वह तुम ही थे?

नया दलीपशाह––(खंजर का जवाब खंजर ही से देने के लिए तैयार होकर) बेशक मैं ही था और मैंने तुम्हारे बटुए में क्या-क्या देखा सो भी इस समय बयान करूँगा।

पहला दलीपशाह––(भूतनाथ को डपट कर) बस खबरदार! होश में आओ और अपनी करतूतों पर ध्यान दो। हमने पहले ही कह दिया था कि तुम क्रोध में आकर अपने को बर्बाद कर दोगे। बेशक तुम बर्बाद हो जाओगे और कौड़ी काम के न रहोगे, साथ ही इसके यह भी समझ रखना कि तुम दलीपशाह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते और न उसे तुम्हारे तिलिस्मी खंजर की परवाह है।

भूतनाथ––मैं आपसे किसी तरह तकरार नहीं करता, मगर इसको सजा दिए बिना भी न रहूँगा। क्योंकि इसने मेरे साथ दगा करके मुझे बड़ा नुकसान पहुँचाया है और यही वह शख्स है, जो मुझ पर दावा करने वाला है, अत: हमारे इसके बीच में इसी जगह सफाई हो जाय तो बेहतर है।

पहला दलीपशाह––खैर, जब तुम्हारी बदकिस्मती आ ही गई है तो हम कुछ नहीं कह सकते, तुम लड़ कर देख लो और जो कुछ बदा है भोगो, मगर साथ ही इसके यह भी सोच लो कि तुम्हारी तरह इसके और मेरे हाथ में भी तिलिस्मी खंजर हैं और इन खंजरों की चमक में तुम्हारे आदमी तुम्हें कुछ भी मदद नहीं पहुँचा सकते।

भूतनाथ––(कुछ सोचकर और फिर रुक कर) तो क्या आप इसकी मदद करेंगे?

पहला दलीपशाह––बेशक!

भूतनाथ––आप तो मेरे सहायक हैं?

पहला दलीपशाह––मगर इतने नहीं कि अपने साथियों को नुकसान पहुँचावें।

भूतनाथ––आखिर ये जब मुझे नुकसान पहुँचाने के लिए तैयार हैं तो क्या किया जाए?

पहला दलीपशाह––इनसे भी तुम माफी को उम्मीद करो क्योंकि हम लोगों के सरदार तुम्हारे पक्षपाती हैं।