पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 5.djvu/८५

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करेंगे, फिर आप जैसी मुनासिब समझिएगा, आज्ञा दीजिएगा।

यह बात उस बुड्ढे ने ऐसे ढंग से कही और इस तरह पलटा खाकर चल पड़ा कि दोनों कुमारों को उसकी बातों का जवाब देने या उस पर शक करने का मौका न मिला और वे दोनों भी उसके पीछे-पीछे रवाना हो गए

उस कमरे के बगल ही में एक कोठरी थी और उस कोठरी में ऊपर छत पर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं। वह बुड्ढा दोनों कुमारों को साथ-साथ लिए हुए उस कोठरी में और वहाँ से सीढ़ियों की राह चढ़कर उसके ऊपर वाली छत पर ले गया। उस मंजिल में भी छोटी-छोटी कई कोठरियाँ और कमरे थे। बुड्ढे के कहे मुताबिक दोनों ने एक कमरे की जालीदार खिड़की में से झाँक कर देखा तो इस इमारत के पिछले हिस्से में एक और छोटा-सा बाग दिखाई दिया, जो बनिस्वत इस बाग के जिसमें कुमार एक दिन और रात रह चुके थे, ज्यादा खूबसूरत और सरसब्ज नजर आता था। उसमें फूलों के पेड़ बहुतायत से थे और पानी का एक छोटा-सा साफ झरना भी बह रहा था, जो मकान की दीवार से दूर और उस बाग के पिछले हिस्से की दीवार के पास था, और उसी चश्मे के किनारे पर कई औरतों को भी बैठे हुए दोनों कुमारों ने देखा।

पहले तो कुँअर इन्द्रजीतसिंह और आनन्दसिंह को यही गुमान हुआ कि ये औरतें किशोरी, कामिनी और कमलिनी इत्यादि होंगी, मगर जब उनकी सूरत पर गौर किया, तो दूसरी ही औरतें मालूम हुईं जिन्हें आज के पहले दोनों कुमारों ने कभी नहीं देखा था।

इन्द्रजीतसिंह––(बुड्ढे से) क्या ये वे ही औरतें हैं, जिनका जिक्र तुमने किया था और जिनमें से एक औरत का नाम तुमने कमलिनी बताया था?

बुड्ढा––जी नहीं, उनकी तो मुझे कुछ भी खबर नहीं कि वे कहाँ गई और क्या हुई।

आनन्दसिंह––फिर ये सब कौन हैं?

बुड्ढा––इन सभी के बारे में इससे ज्यादा और मैं कुछ नहीं जानता कि ये सब राजा गोपाल सिंह की रिश्तेदार हैं और किसी खास सबब से राजा गोपालसिंह ने इन लोगों को यहाँ रख छोड़ा है।

इन्द्रजीतसिंह––ये सब यहाँ कब से रहती हैं?

बुड्ढा––सात वर्ष से।

इन्द्रजीतसिंह––इनकी खबरगीरी कौन करता है और खाने-पीने तथा कपड़े-लत्ते का इन्तजाम क्योंकर होता है?

बुड्ढा––इसकी मुझे भी खबर नहीं। यदि मैं इन सभी से कुछ बातचीत करता या इनके पास जाता तो कदाचित् कुछ मालूम हो जाता, मगर राजा साहब ने मुझे सख्त ताकीद कर दी है कि इन सभी से कुछ बातचीत न करूँ बल्कि इनके पास भी न जाऊँ।

इन्द्रजीतसिंह––खैर, यह बताओ कि हम लोग इनके पास जा सकते हैं या नहीं?

बुड्ढा––इन सभी के पास जाना न जाना आपकी इच्छा पर है-मैं किसी तरह की रुकावट नहीं डाल सकता और न कुछ राय ही दे सकता हूँ

इन्द्रजीतसिंह––अच्छा दस बाग में जाने का रास्ता तो बता सकते हो?