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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१२७

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दिमाग में बसा हुआ है और तुम अपने को लाड़िली समझ रही हो, ताज्जुब नहीं कि लाड़िली ने तुमसे वे बातें कही हों जो उसने मुझसे दिल्लगी के ढंग पर की थीं।

कामिनी-मुझे आपकी बातों पर ताज्जुब मालूम पड़ता है । मैं समझती हूँ कि आप ही ने कोई अनूठा स्वप्न देखा है और शायद यह भी देखा है कि कामिनी आपके बगल में पड़ी हुई है जिसका खयाल अभी तक बना हुआ है और मुझे आप कामिनी समझ रहे हैं । भला सोचिए तो सही कि छोटे कुमार (आनन्दसिंह) को छोड़कर कामिनी आपके पास आने ही क्यों लगी ? कहीं आप मुझसे दिल्लगी तो नहीं कर रहे हैं?

कामिनी की आखिरी बात को सुनकर आनन्दसिंह बहुते बेचैन हो गये और उन्होंने घबरा कर कामिनी के मुंह से घूघट हटा दिया, मगर शमादान की रोशनी में उसका खूबसूरत चेहरा देखते ही वे चौंक पड़े और बोले-"हैं ! यह मामला क्या है ? लाड़िली को मेरे पास आने की क्या जरूरत थी ? बेशक तुम लाड़िली मालूम पड़ती हो ? कहीं तुमने अपना चेहरा रंगा तो नहीं है?"

कामिनी-(घबराहट के ढंग पर) आपकी बातें तो मेरे दिल में हौल पैदा करती हैं ! न मालूम आप क्या कह रहे हैं और इस बात को क्यों नहीं सोचते कि कामिनी को आपके पास आने की जरूरत ही क्या थी!

आनन्दसिंह--(बेचैनी के साथ) पहले तुम अपना चेहरा धो डालो तो मैं तुमसे बातें करूँ ! तुम मुझे जरूर धोखा दे रही हो और अपनी सूरत लाड़िली की सी बनाकर मेरी जान को सांसत में डाल रही हो ! मैं अभी तक तुम्हें कामिनी समझ रहा था और समझता हूँ।

कामिनी--(ताज्जुब से आनन्दसिंह की सूरत देखकर) आपकी बातें तो कुछ विचित्र ढंग की हो रही हैं। जब आप मुझे कामिनी समझते हैं तो अपने को भी जरूर आनन्दसिंह समझते होंगे?

आनन्दसिंह--इसमें शक ही क्या है ? क्या मैं आनन्दसिंह नहीं हूँ?

कामिनी--(अफसोस से हाथ मलकर) हे परमेश्वर ! आज इनको क्या हो गया है!

आनन्द--बस, अब तुम अपना चेहरा धो डालो तब मुझसे बातें करो, तुम नहीं जानतीं कि इस समय मेरे दिल की कैसी अवस्था है! कामिनी--ठहरिये-ठहरिये, मैं बाहर जाकर सभी को इस बात की खबर कर देती हूँ कि आपको कुछ हो गया है । मुझे आपके पास बैठते डर लगता है ! हे परमेश्वर !

आनन्दसिंह--तुम नाहक मेरी जान को दुःख दे रही हो ! पास ही तो पानी पड़ा है, अपना चेहरा क्यों नहीं धो डालतीं? मुझे ऐसी दिल्लगी अच्छी नहीं मालूम होती, खैर, अब बहुत हो गया, तुम उठो!

कामिनी—मेरे चेहरे में क्या लगा है जो धो डालूं? आप ही क्यों नहीं अपना चेहरा धो डालते ! क्या मुंह में पानी लगाकर मैं लाड़िली से कोई दूसरी ही औरत बन जाऊँगी ? या आप मुंह धोकर छोटे कुमार बन जायेंगे ?

आनन्द--(बेचैनी से बिगड़कर) बस-बस, अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता और