कुछ खबर ही न थी!" बस इतना कहकर बैठ गईं और कहने लगी कि 'कमलिनी और लाड़िली की शादी तिलिस्म के अन्दर ही इन्द्रजीत और आनन्द के साथ भी हो चुकी है जिसके बारे में अब तक हम लोगों को किसी ने कुछ भी नहीं कहा। इसी समय लड़के (भैरोंसिंह) ने मुझसे कहा है।' सुनते ही मैं सन्न हो गई कि हे राम, यह कौन-सी बात थी जिसे अभी तक सब कोई छिपाये बैठे रहे!
चपला––(भैरोंसिंह की तरफ इशारा करके) सामने तो बैठा हुआ है, पूछिये कि इस समय के पहले ही कभी कुछ कहा था। यद्यपि दोनों की शादियाँ इसके सामने ही तिलिस्म के अन्दर हुई थीं।
वीरेन्द्रसिंह––मुझे भी इस विषय में किसी ने कुछ नहीं कहा था, अभी थोड़ी देर हुई कि गोपालसिंह ने यह सब हाल पिताजी से बयान किया तब मालूम हुआ।
चन्द्रकान्ता––यही सुन के तो मैंने आपको तकलीफ दी, क्योंकि आपकी जुबानी सुने बिना मेरी दिलजमई नहीं हो सकती।
वीरेन्द्रसिंह––जो कुछ तुमने सुना, सब ठीक है।
चन्द्रकान्ता––मजा तो यह है कि लड़कों ने भी मुझसे इस बात की कुछ चर्चा नहीं की।
वीरेन्द्रसिंह––लड़कों को तो खुद ही इस बात की खबर नहीं है कि उनकी शादी कमलिनी और लाड़िली के साथ हुई थी।
चन्द्रकान्ता––यह तो आप और भी ताज्जुब की बात कहते हैं। यह भला कैसे हो सकता है कि उनकी शादी हो, उन्हीं को पता न लगे कि हमारी शादी हो गई है? इस पर कौन किश्वास करेगा!
वीरेन्द्रसिंह––बात ही कुछ ऐसी हो गई थी और यह शादी जान-बूझकर किसी मतलब से छिपाई गई थी। (गोपालसिंह की तरफ इशारा करके) अब ये खुलासा हाल तुमसे बयान करेंगे, तब तुम समझ जाओगी कि ऐसा क्यों हुआ।
गोपालसिंह––मैं सब हाल आपसे खुलासा बयान करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप मेरा कसूर माफ करेंगी, क्योंकि यह सब मेरी ही करतूत है और मैंने ही यह शादी कराई है।
चन्द्रकान्ता––अगर तुमने ऐसा किया तो छिपाने की क्या जरूरत थी? क्या हम लोग तुमसे रंज हो जाते? या हम लोग इस बात को नहीं समझते कि जो कुछ भी तुम करोगे, अच्छा ही समझ के करोगे!
गोपालसिंह––ठीक है, मगर किया क्या जाय! इस बात को छिपाये बिना काम नहीं चलता था, यही तो सबब हुआ कि खुद दोनों कुमारों को भी इस बात का पता न लगा कि उनकी शादी फलां के साथ हो गई है।
चन्द्रकान्ता––आखिर ऐसा क्यों किया गया, सो तो कहो!
गोपालसिंह––इसका सबब यह है कि एक दिन कमला मेरे पास आई और बोली कि 'मैं आपसे एक जरूरी बात कहती हूँ जिस पर आपको विशेष ध्यान देना होगा।' मैंने पूछा––'क्या?' इस पर उसने जवाब दिया कि 'कमलिनी ने जो कुछ अहसान हम लोगों