पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 6.djvu/१६१

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पड़ गया अर्थात् उसी समय एक चोबदार ने आकर इत्तिला दी कि 'भूतनाथ हाजिर हैं।'इस खबर को सुनते ही सब कोई खुश हो गये और भरतसिंह ने भी कहा, "अब मेरे किस्से में विशेष आनन्द आवेगा।"

महाराज ने भूतनाथ को हाजिर करने की आज्ञा दी और भूतनाथ ने कमरे के अन्दर पहुँचकर सभी को सलाम किया।

तेजसिंह--(भूतनाथ से) कहो भूतनाथ, कुशल तो है ? आज कई तो दिनों पर तुम्हारी सूरत दिखाई दी !

भूतनाथ--जी हां ईश्वर की कृपा से सब कुशल है, जितने दिन की छुट्टी लेकर गया था, उसके पहले ही हाजिर हो गया हूँ

तेजसिंह–-सो तो ठीक है मगर अपने सपूत लडके का तो कुछ हाल कहो, कैसी निपटी?

भूतनाथ-निपटी क्या आपकी आज्ञा पालन की, नानक को मैंने किसी तरह की तकलीफ नहीं दी मगर सजा बहुत ही मजेदार और चटपटी दे दी गई !

देवीसिंह--(हंसते हुए) सो क्या ?

भूतनाथ--मैंने उससे एक ऐसी दिल्लगी की कि वह भी खुश हो गया होगा। अगर बिल्कुल जानवर न होगा तो अब हम लोगों की तरफ कभी मुंह न करेगा बात बिल्कुल मामूली थी, जब वह यहाँ आकर मेरी फिक्र में डूबा तो घर की हिफाजत का बन्दोबस्त करके बाद कुछ शागिर्दो को साथ लेकर मैं उसके मकान पर पहुंच उसकी माँ को उड़ा लाया मगर उसकी जगह अपने एक शागिर्द को रामदेई बनाकर छोड़ आया।यहाँ उसे शान्ता बनाकर अपने खेमे में जो इसी काम के लिए खड़ा किया गया था, एक लौंडी के साथ सुला दिया और खुद तमाशा देखने लगा। आखिर नानक उसी को शान्ता समझ के उठा ले गया और खुशी-खुशी अपनी नकली शान्ता को खम्भे के साथ बांधकर जूते से पूजा करने लगा। जब खूब दुर्गति कर चुका तब नकली रामदेई उसके सामने एक पुर्जा फेंक करके बाहर निकल गई। उस पुर्जे के पढ़ने से जब उसे मालूम हुआ कि मैंने जो कुछ किया है, अपनी ही मां के साथ किया तब वह बहुत ही शर्मिन्दा हुआ। उस समय उनके दोनों की जैसी कैफियत हुई मैं क्या बयान करूं, आप लोग खुद सोच समझ लीजिये।

भूतनाथ की बात सुनकर सब लोग हँस पड़े। महाराज ने उसे अपने पास बुलाकर बैठाया और कहा, "भूतनाथ, जरा एक दफे तुम इस किस्से को फिर बयान कर जाओ मगर जरा खुलासा तौर पर कहो।"

भूतनाथ ने इस हाल को विस्तार के साथ ऐसे ढंग पर दोहराया कि हंसते-हँसते सभी का दम फूलने लगा। इसके बाद जब भूतनाथ को मालूम हुआ कि भरतसिंह अपना किस्सा बयान कर रहे हैं तब उसने भरतसिंह की तरफ देखा और कहा, "मुझसे भी तो आप के किस्से से कुछ सम्बन्ध है !"

भरतसिंह--बेशक,और वही हाल मैं इस समय बयान कर रहा था!

भूतनार--(गोपालसिंह) से क्षमा कीजियेगा, मैंने आपसे उस समय, जब आप