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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क २
ज़्यादा की मुझे ज़रूरत नहीं।" मैं बोला---"आपको धन्यवाद देता हूँ साहब, संसार में आग ही लग जाय तो अच्छा।" उसने कहा--- "यों गाली बकने से काम नहीं मिलेगा, अब चल दो।"
[ हँसता है ]
चाहे तुम भूखों मर रहे हो, पर तुम्हें मुँह खोलने का हुक्म नहीं। इसका ख़याल भी मत करो। चुप चाप सहते जाव। यही समझदार आदमियों का दस्तूर है। ज़रा दूर और आगे चला, तो एक लेडी ने मुझसे कहा---
[ आवाज़ नीची करके ]
क्यों जी कुछ काम करके दो चार पैसे कमाना चाहते हो?" और मुझे कुत्ता दिया कि उसे दुकान के बाहर पकड़े खड़ा रहूं। खानसामे की तरह मोटा था। --- मनों मांस खा गया होगा। उसको पालने में ढ़ेरों मांस
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