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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१२४

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चांदी की डिबिया
[ अड़्क २
 

"अगर आप मुझे नोटिस नहीं देंगी तो मुझे एक महीने की तनख़्वाह दे दीजिए। मैंने अपनी इज्ज़त में दाग़ नहीं लगाया। मैंने कुछ नहीं किया।"---कुछ नहीं किया!

बार्थिविक

अच्छा।

मिसेज़ बार्थिविक

नौकर अब बहुत सिर चढ़ गए हैं, वह सब इस बुरी तरह मिले रहते हैं, कि कुछ मालूम ही नहीं होता कि उनके मन में क्या है। ऐसा जान पड़ता है कि तुम्हें न मालूम हो इस लिए सबों ने गुट कर लिया हो। यहां तक कि मार्लो का भी यही हाल है। ऐसा मालूम होता है, कि वह अपने मन की असली बात किसी पर खुलने ही नहीं देता। मुझे इस छिपा चोरी से चिढ़ है। इससे फिर

किसी पर भरोसा नहीं रहता। कभी कभी

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