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दृश्य २ ]
चाँदी की डिबिया
है। आज दिन भर सिर में बड़ा दर्द रहा।
बार्थिविक
छी! अगर तुम्हें मामूली सी तमीज़ भी होती और तुम्हें इतना सा भी याद होता कि जब तुम यहाँ आए तो क्या क्या बातें हुईं तो हमें मालूम हो जाता कि इस बदमाश की बातों में कितना सच है। मगर अब तो कुछ समझ में ही नहीं आता। गोरख धंधा सा होकर रह गया!
जैक
[ घूरता हुआ मानो अधूरी बातें याद आ रही हैं ]
कुछ कुछ याद आता है---फिर सब भूल जाता हूँ।
मिसेज़ बार्थिविक
क्या कहते हो जैक? क्या तुम्हें इतना नशा था कि तुम्हें इतना भी याद नहीं?---
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