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दृश्य २ ]
चाँदी की डिबिया
रोपर
जी हाँ! ऐसा ही मेरे पास एक दूसरा मुक़दमा भी है।
[ मिसेज़ बार्थिविक का झुककर सलाम करता है और चला जाता है। बार्थिविक उसके पीछे-पीछे अन्त तक बातें करता जाता है। मिसेज़ बार्थिविक मेज़ पर बैठी हुई सिसक-सिसक कर रोने लगती है; बार्थिविक लौटता है। ]
बार्थिविक
[ आप ही आप ]
बदनामी होगी।
मिसेज़ बार्थिविक
[ तुरत अपने रंज को छिपाकर ]
मेरी समझ में यह बात नहीं आती कि रोपर ने ऐसी बात को हँसी में क्यों उड़ा दिया?
बार्थिविक
[ विचित्रभाव से ताक कर ]
तुम---तुम्हारी समझ में कोई बात नहीं आती। तुम्हें रत्ती भर भी समझ नहीं है।
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