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पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१७२

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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क २
 

मिसेज़ बार्थिविक

[ क्रोध से ]

तुम मुझसे कहते हो कि मुझ में समझ नहीं है?

बार्थिविक

[ घबड़ा कर ]

मैं---बहुत परेशान हूं। सारी बात आदि से अन्त तक मेरे सिद्धान्त के विरुद्ध हैं।

मिसेज़ बार्थिविक

मत बको। तुम्हारा कोई सिद्धान्त भी है। तुम्हारे लिए दुनिया में डरने के सिवा और कोई सिद्धान्त नहीं है।

बार्थिविक

[ खिड़की के पास जाकर ]

मैं अपनी ज़िन्दगी में कभी न डरा। तुमने सुना है,

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