पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/१७६

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अंक ३

दृश्य १

आठ दिन गुज़र गए हैं। लन्दन के पुलिसकोर्ट का दृश्य है। एक

बजा है। एक चँदवे के नीचे न्याय का आसन है। इस चँदवे के ऊपर शेर और गैंडे की प्रतिमा बनी हुई है। आँख के सामने एक मुरझाई हुई सूरत का न्यायाधीश अपने कोट के पिछले भाग को गर्म कर रहा है। और दो छोटी छोटी लड़कियों को घूर रहा है। जो नीले और नारंगी चीथड़े पहने हुए हैं। कपड़ों का रंग बिलकुल उड़ गया है। ये लड़कियां कठघरे में लाई जाती हैं। गवाहों के कठघरे के पास एक अफ़सर अोवर कोट पहने खड़ा है। उसकी दाढ़ी छोटी और भूरी है। छोटी लड़कियों के बग़ल में एक गंजा पुलिस कांस्टेबिल खड़ा है। अगली बेंच पर बार्थिविक और रोपर बैठे हुए हैं। जैक उनके पीछे बैठा है। जंगलेदार कटघरे में कुछ फटेहाल मर्द और औरतें पीछे खड़ी हैं। कई मोटे ताज़े कांस्टेबिल इधर उधर खड़े या बैठे हैं।

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