पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/२३४

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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क ३
 

तुम इसे न्याय कहते हो? जैक का तो कुछ भी नहीं बिगड़ा? उसने शाराब पी, उसने थैली ली---उसी ने थैली ली लेकिन।

[ ज़बान दबा कर ]

रुपया उसे बचा ले गया। वाह रे इंसाफ!

गठरी में बन्द कर दिया जाता है और स्त्री पुरुषों के मुँह से एक सूखी धीमी आह निकलती है। ]

मैजिस्ट्रेट

अब हम नाशता करने जाते हैं।

[ वह अपनी जगह से उठता है ]

अदालत में हलचल मच जाती है, रोपर उठता है और समाचार के सम्वाददाता से बातें करता है। जैक सिर उठा कर अकड़ता हुआ बरामदे में चला जाता है। बार्थिविक भी उसके पीछे पीछे जाता है। ]

मिसेज़ जोन्स

[ विनीत भाव से उसकी तरफ़ फिर कर ]

हज़ूर!

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