पृष्ठ:चाँदी की डिबिया.djvu/३९

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दृश्य ३ ]
चाँदी की डिबिया
 

है मज़ेदार बात! इस लौंडे पर तो मुक़दमा चल सकता है।

मिसेज़ बार्थिविक

जाने भी दो जान, जैक की नीयत बुरी न थी। उसने यही समझा होगा कि मैं कुछ रुपए ऊपर ले रहा हूँ। मेरा अब भी यही ख़याल है कि बैंक को वह चेक भुना देना चाहिए था। उन लोगों को मालूम होगा कि तुम्हारी कितनी साख है।

बार्थिविक

[ पत्र और चेक को फिर लिफ़ाफ़े में रखकर ]

अदालत में लाला की आँखें खुल जातीं।

[ जैक आ जाता है। उसे देखते ही वह चुप हो जाता है, वास्केट के बटन बंद कर लेता है। ठुड्डी पर अस्तुरा लग गया है। उसे दबा लेता है।]

जैक

[ उन दोनों के बीच में बैठकर और प्रसन्न मुख बनने की इच्छा करके ]

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