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चाँदी की डिबिया
[ अड़्क १
जिस दिन आधी छुट्टी होती है उस दिन अठारह पेंस ही मिलते हैं।
बार्थिविक
और तुम्हारा शौहर तो जो कुछ पाता होगा, पीने में उड़ा देता होगा।
मिसेज़ जोन्स
हाँ साहब, कभी कभी उड़ा देते हैं, कभी कभी मुझे दे देते हैं। अगर उन्हें काम मिले तो करने को तैयार हैं हुज़ूर, लेकिन मालूम होता है बहुत से आदमी खाली बैठे हुए हैं।
बार्थिविक
उँह! इन बातों में पड़ने से क्या फ़ायदा
[ सहानुभूति दिखाकर ]
यहाँ तुम्हारा काम बहुत कड़ा तो नहीं है? क्यों?
मिसेज़ जोन्स
नहीं हुज़ूर, ऐसा कुछ कड़ा तो नहीं है, हां जब
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