पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/१५८

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कर्तव्य पालन १५१ वह व्यक्ति बोला-करते क्यों नहीं, जहाँ हिंदुओं का दाँव लगत है, वहीं हिंदू भी कर डालते हैं। पर इसनी बात अवश्य है कि हिंदू केवल क्षणिक क्रोध के वश होकर ऐसा करता है, और मुसलमान केवल इच्छा-मात्र उत्पन्न होने पर कर उठाता है। गंगापुत्र-मुसलमान जितने निर्दयी होते हैं, उतना हिंदू नहीं हो सकता। . वह व्यक्ति हाँ, इसमें कुछ सचाई अवश्य है । और इसका कारण केवल यह है कि मुसलमान मांसाहारी होते हैं । मांसाहारी लोग अवश्य कुछ निर्दय होते हैं, चाहे वे हिंदू हों, चाहे मुसलमान । उसी समय लड़का ठंढाई का सामान ठीक कर लाया । गंगापुत्र ने सिल सामने रखकर ठंढाई घोटना शुरू कर दिया । ठंडाई भी घोटले जाते थे और बातें भी करते जाते थे। दूसरा व्यक्ति बोला-कुछ हो, पर यहाँ झगड़ा अवश्य होगा। गंगापुत्र होगा, तो बजेगी भी खूब । आप लोगों ने आखिर किस दिन के लिये हम लोगों को माल खिला-खिलाकर पाला है ? जिधर गंगामैया की जय कहकर घूम पढ़ेंगे, उधर मैदान साफ हो जायगा । यहाँ क्या, यहाँ तो एक दिन मरना ही है। पहला व्यक्तिमगड़ा होना कोई अच्छी बात नहीं । चाहे हिंद मिट, चाहे मुसलमान, है बुरी वात । देश की हानि दोनों तरह से है। वही कहावत है कि यह जाँघ खोलो तो लाज, वह, जाँघ खोलो तो लाज । (एक ठंडी साँस लेकर } न जाने हमारे देश में कैसी दुर्बुद्धि छाई है कि छोटी-छोटी बातें भी किसी की समझ में नहीं पातीं। गंगापुन्न--समझ में इन मुसलमानों के नहीं पाती, हिंदू तो सब समझते हैं। यह बात सुनकर वे दोनों व्यक्ति हँस पड़े । पहला व्यक्ति हँसने को बाद गंभीर होकर बोना-यही तो बड़ी खरावी है कि हिंदू मुसल-