पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/१६

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स्वतंत्रता

स्वतंत्रता . गुलाम बनकर रहते हैं। संसार में दोनों ही बातें मिलेंगी-स्त्रियाँ पुरुषों की गुलाम बनकर रहती हैं और पुरुष स्त्री के गुलाम बन- कर रहते हैं। प्रियंवदा देवी ने घृणा से नाक फुजाकर कहा-अशिक्षित स्त्रियाँ ही पुरुषों की गुलाम बनकर रहती हैं। सुखदेव०-योरप और अमेरिका की सियाँ तो अशिक्षित नहीं होती; परंतु वहाँ भी स्त्रियाँ पुरुषों की गुलाम बनकर रहती हैं। प्रियंवदा-क्यों गुलाम बनकर रहती हैं ? - सुखदेव०-जहाँ प्रेम होता है, वहाँ एक दूसरे का गुलाम बनना ही पड़ता है। प्रियंवदा-परंतु वहाँ नित्य तलाक भी तो होते रहते हैं। सुखदेव०-बेशक! इसका कारण यही है कि जिन स्त्री-पुरुषों में प्रेम नहीं होता, वे बात-बात में स्वतंत्रता और अधिकार की दुहाई देते हैं, परिणाम यह होता है कि श्रापस में जूता चलता है, और तलाक की नौबत आ जाती है इतना कहकर सुखदेवप्रसाद उठ खड़े हुए और हाथ-मुँह धोने लगे। प्रियंवदा देवी उठकर भासन पर अपनी थाली के सामने जा बैठी और भोजन करने लगीं। सुखदेवप्रसाद तौलिए से हाथ पोंछते हुए कुर्सी पर था बैठे। प्रियंवदा देवी ने चुपचाप भोजन किया। भोजन करने के पश्चात् हाथ-मुँह धोकर पहले उन्होंने अपने और पति के लिये पान बनाए, तत्पश्चात् पुनः पलँग पर आ बैठीं। थोड़ी देर तक वह चुपचाप बैठी रहीं, इसके उपरांत उन्होंने कहा-ईश्वर ने स्त्री-पुरुप को समान यनाया है। दोनों को समान स्वतंत्रता तथा समान अधिकार मिलने चाहिए।