पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/७१

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परिणाम - The को भगा दिया था। तब से यहाँ अय बहुत आदमी नहीं रहते। तीसरा बोला-एक श्रादमी यहाँ पुराना रहता है। उससे पूछो, वह चाहे कुछ बता सके। रामलाल ने पूछा-वह कहाँ है ? मिसुक ने उत्तर दिया-मडैया के भीतर पड़ा है। आजकल कुछ सिकस्त रहता है, कहीं माँगने-वाँगने भी नहीं जाता, हमी लोग खाने को दे दिया करते हैं। रामलाल--उसे बुलाओ। एक भिक्षुक ने पुकारा-बड़े दादा हो, श्री बड़े दादा? एक मईया के भीतर से किसी ने कहा-कौन है ? उस भिक्षुक ने कहा-जरा बाहर श्रानो, तुम्हें कोई पूछता कुछ क्षण के बाद एक वृद्ध धीरे-धीरे मडैया से निकलकर आया। वृद्ध के मुख पर लंबी दाढ़ी और सिर में लंबे केश थे, गले में दो- तीन मानाएँ पड़ी हुई थीं। वृद्ध ने बाहर आकर पूछा- कौन है ? रामलाल ने कहा-जरा इधर आयो। वृद्ध और आगे आया, और बोला-क्या है ? रामलाल ने पूछा-तुम सधुना को जानते हो? यह सुनकर वृद्ध चौंक पड़ा । उसने एक बेर रामलाल को सिर से पैर तक देखा और बोला-सा तो हमारा साथी रहा, उसे शरीर छोड़े साल भर हो गया। रामलाल ने पूछा-तुम रामलाल को जानते हो? वृद्ध ने पुनः रामलाल को सिर से पैर तक देखा, परंतु अंधकार के कारण पहचान न सका। श्रतएव वोला-वह ससुर अाज पाठ- नौ बरसें हुई तब कहीं चला गया था, कौन जाने, साला मरा या जिया। उसकी एक बिटिया भी थी। .