पृष्ठ:चित्रशाला भाग 2.djvu/९७

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संतोप-धन . अपने उस नौकर को छुड़वा दीजिए, पुलिस उसकी दुर्दशा कर डालेगी। लाला ने तुरंत अपना श्रादमी कोतवाली दौड़ा दिया। घर आकर रामभजन माता से बोले- अम्माँ, लो ये २०) स्पए। इसमें लल्लू का मुंडन करो । साथ ही सत्यनारायण की कथा भी करा लेना। माता ने चकित होकर पूछा-ये रुपए कहाँ पाए बेटा ? रामभजन- -सत्यनारायण बाबा ने दिए हैं । सत्र .उन्हीं का 'प्रताप इसके पश्चात् पत्नी के हाथ में ८०) रु० रख दिए । पत्नी पानंद से गद्गद होकर बोली-कहाँ से ले पाए ? रामभजन -सव सत्यनारायण वावा की दया है। श्रादमी को नीयंत ठिकाने रहनी चाहिए । ईश्वर सब भला ही करता है। --