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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/१७०

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चोखे चौपदे

क्यों न हम जोड़बन्द वाले हों।
कब सके जोड़ आइना फूटा॥
पड़ गई गॉठ जब जुड़ा तब क्या।
टूट करके जुड़ा न दिल टूटा॥

पेच भर पैच मे कसे गेही।
जॉय दिल दूसरे भले ही हिल॥
जब कि पेचीदगी भरे है तो।
क्या करें पेच पाच वाले दिल॥

चल रहा है चाल बेढंगी अगर।
ऊब माथा किस लिये हैं ठोंकते॥
वह अचानक रुक सकेगा किस तरह।
दिल रुकेगा रोकते ही रोकते॥

है बड़ा बद कपूत कायर वह।
जो बदी बीज रख कपट बोवे॥
चोर क्या चोर का चचा है वह।
चोर दिल में अगर किसी होवे॥