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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/१८०

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चोखे चौपदे

चाहिये मान पर उसे मरना।
क्यों उसे मोहने लगे पैसे॥
जाय लट वह अगर गया है लट।
जो हमारा उलट गया कैसे॥

क्यों न होवे बेलि अलबेली बड़ी।
क्यों न सुन्दर फूल से होवे सजी॥
हम सराहे तो सराहे क्यों उसे।
क्यों उसे चाहे अगर चाहे न जी॥

प्यार के पहलू

है उन्हें चाव ही न झगड़ों का।
पॉव जो प्यार-पथ में डालें॥
वे रखेंगे न काम रगड़ों से।
नाक ही क्यों न हम रगड़वा लें॥

सब सहेंगे हम, सहें कुछ भी न वे।
जाँयगे हम सूख उन के मुँह सुखे॥
जाय दुख तो जी हमारा जाय दुख।
देखिये उन की न नँह उँगली दुखे॥