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चोखे चौपदे

वह कलेजा नही सगे का है।
चूकता जो रहा भलाई में॥
भूल से भूल है बड़ी कोई।
हों भले भाव जो न भाई मे॥

है किसी काम की न वह भायप।
है गया भूल जो कमाई में॥
क्यों भरा भेद तो कलेजे मे।
हो अगर भेद-भाव भाई मे॥

चुहचुहाते हुए सहज हित का।
है लबालब भरा हुआ प्याला॥
है कलेजा किसी बहिन का क्या।
है खिली प्यार-बेलि का थाला॥

मा कलेजे से निकल हित-रंग में।
जो निराले ढंग से ढलती रही॥
वह बड़ी नायाब धारा नेह की।
है बहिन के ही कलेजे में बही॥