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चोखे चौपदे

दूर अनबन वही सकेगा कर।
जो बना रज का न प्याला है॥
क्यों पड़ेगा न मेल का लाला।
जब कलेजा मलालवाला है॥

लोभ है तो झली ललक भी है।
मान के साथ मन मगन भी है॥
है कसर ही नही कलेजे में।
है अगर लाग तो लगन भी है॥

मोम है, है समान माखन के।
जोंक है, और नोक नेजा है॥
फूल से भी कही मुलायम है।
काठ से भी कठिन कलेजा है॥

दुख बड़े से बड़े उसी में हैं।
है बड़ा दुख जिन्हें अँगेजे में॥
एक से एक हैं कड़े पचड़े।
हैं बखेड़े बड़े कलेजे में॥