पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
२२२
चोखे चौपदे

हाथ मत लोढ़ो मलो नोवो उन्हें।
है बुरा जो फूल की रंगत खली॥
इस जगत का ही निराला रग है।
है तुमारी ही नही रंगत भली॥

हाथ और फल

डालियों से अलग न होने दो।
डोलने के लिये उन्हें छोड़ो॥
है भले लग रहे हरे दल में।
हाथ फल तोड़ कर न जी तोड़ो॥

है समय सुख दुख बना सब के लिये।
औगुनों पर है भले अड़ते नही॥
पाप होगा हाथ मत तोड़ो उन्हें।
क्या पके फल आप चू पड़ते नहीं॥

सोच लो है कौन हितकारी, भला।
कौन है पापी, बुरा, बेपीर, खल॥
तुम रहे ढेले फलों पर फेंकते।
पर बनाते फल रहे तुम को सफल॥