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चोखे चौपदे

पैठ कर के प्यार जैसे पैठ मे।
दाम खोटी चाट का पाता रहा ॥
जो कभी चोटी चमोटी के लगे।
कवि-कलेजा चोट खा जाता रहा ॥

प्यार के पुतले

बात मीठी लुभावनी सुन सुन।
जो नही हो मिठाइयाँ देते ॥
तो खिले फूल से दुलारे का।
चाह से गाल चूम तो लेते ॥

हाथ उन पर भला उठायें क्यों।
जो कि हैं ठीक फूल ही जैसे ॥
पा सके तन गला गला जिन को।
गाल उन का भला मलें कैसे ॥

हैं लुभा लेती ललक पहल लिये।
हैं कमाल भरी अमोल पहेलियां ॥
लालसावाले निराले लाल के।
हाथ की ए लाल लाल हथेलियां ॥