पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२६

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गागर में सागर

तैरते हैं उमंग लहरों में।
चाव से खाड़ साथ लड़ लड़ के ॥
लाभ हैं ले रहे लड़कपन का।
हाथ औ पाँव फेंकते लड़के ॥

प्यार कर प्यार के खेलौने को।
कौन दिल में पुलक नहीं छाई ॥
देख भावों भरी भली सूरत ।
कौन छाती भला न भर आई ॥

चूम लें और ले बलायें लें।
लाम है लाड़ के अँमेजे में ॥
मनचले नौनिहाल हैं जितने।
हम उन्हें डाल लें कलेजे में ॥

ले सके जो, उसे न क्यों लेवे।
लाड़िला वह तमाम घर का है।
ठोक पर का अगर रहा पर का।
दूसरा कौन पीठ पर का है।