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चोखे चौपदे

कुछ मिले काम नाम के भूखे।
कुछ मिले चाम दाम मत वाले॥
कुछ पियाले पिये मिले मद के।
हैं लिये देख हम ने दिल वाले॥

क्यों सके जान दिल दिलों का दुख।
बात खुभती न जो खुभे दिल में॥
बात चुभती न हम कहें कैसे।
चुभ गई बात तो चुभे दिल में।।

बात मुँहदेखी कही जाती नहीं।
किस तरह कर चापलूसी चुप रहें।।
दिल किसी का कुढ़ रहा है तो कुढ़े।
दिल यही है चाहता, दिल को कहें।।

मिल सके जो न देवतों को भी।
क्यों न मेवे मिलें उसे वैसे॥
मन भरे, आम रस भरे क्या है।
जन भरे पेट को भरे कैसे॥