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बहारदार बातें
बसंत बहार
आ बसत बना रहा है और मन।
बौर आमों को अनूठा मिल गया।।
फूल उठते है सुने कोयल-कुहू।
फूल खिलते देख कर दिल खिल गया॥
आम बौरे, कूकने कोयल लगी।
ले महॅक सुन्दर पवन प्यारी चली॥
फूल कितनी बेलियों मे खिल उठे।
खिल उठा मन, खिल उठी दिल की कली॥
भर उमगों मे भँवर हैं गूँजते।
कोयलों का चाव दोगुना हुआ॥
चाँदनी की चद की चोखी चमक।
देख चित किस का न चौगूना हुआ।।