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बहारदार बातें

लस रही हैं कोंपलों से डालियॉ।
फूल उन को फूल कर हैं भर रहे।।
हर रहा है मन हरापन पेड़ का।
जी हरा पत्ते हरे है कर रहे।।

रस नया है समा गया जड़ में।
रंगते है बदल रही छालें।।
पेड़ है थालियॉ बने फल की।
फूल की डालियाँ बनी डालें।।

है उसे दे रहे निराला सुख।
कर रहे हैं तरह तरह से तर॥
ऑख मे भर रहे नयापन है।
पेड़, पत्ते नये नये पाकर॥

रगतें न्यारी बड़ी प्यारी छटा।
कर रहे है लाभ मिट्टी धूल से॥
पा रहे है पेड़ फल फल दान का।
कोपलों, कलियों, फलों से, फूल से॥