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पृष्ठ:चोखे चौपदे.djvu/२७२

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बहारदार बातें

पेड़ हम हैं, मलय-पवन तुम हो।
तुमें अगर मेघ, मोर तो हम है।।
हम भँवर हैं, खिले कमल तुम हो।
चन्द जो तुम, चकोर तो हम है॥

कौन है जानकार तुम जैसा।
है हमारा अजान का बाना॥
तुम हमें जानते जनाते हो।
नाथ हम ने तुमें नहीं जाना॥

तुम बताये गये अगर सूरज।
तो किरिन क्यों न हम कहे जाते॥
तो लहर एक हम तुमारी हैं।
तुम अगर हो समुद्र लहराते॥

तब जगत में बसे रहे तुम क्या।
जब सके आँख में न मेरी बस॥
लग न रस का सका हमे चसका।
है तुमारा बना बनाया रस॥