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चोखे चौपदे


जीभ को कस में रखें, काया कसें ।
क्यों लहू कर के किसी का सुख लहे ॥
मारना जी का बहुत ही है बुरा ।
जी न मारे मारत जी को रहे ॥

काम करते है मफर कर किस लिये ।
इस मकर से प्यार प्यारा है कहो ॥
क्यों हमारा जी गिना जी जायगा ।
हम अगर जी को समझते जी नही ॥

बात बनती नही बचन से ही ।
काम सध कब सका सदा धन से ॥
मानते क्यों न मानने वाले ।
वे मनाये गये नही मन से ॥

क्या बचन मीठे नहीं हम बोलते ।
क्या हमारे पास सुन्दर तन नहीं ॥
पर भला कैसे रिझायें हम उसे ।
रीम जिस का रीझ पाता मन नही ॥