अनुरोध करने से, विल्फर्ड और एलिस को उनका आतिथ्य स्वीकार
करने के लिये विवश होना पड़ा; क्योंकि सुकुमारी, किशोर सिंह की ही स्त्री थी, जिसे उन लोगों ने बचाया था ।
२
चन्दनपुर के जमींदार के घर में, जो यमुना-तट पर बना हुआ है, पाई-बाग के भीतर, एक रविश से चार कुर्सियां पड़ी है। एक पर किशोर सिंह और दो कुर्सियों पर विल्फर्ड और एलिस बैठे है, तथा चौथी कुर्सी के सहारे सुकुमारी खड़ी है। किशोर सिंह मुस्कुरा रहे है, और एलिस आश्चर्य की दृष्टि से सुकुमारी को देख रही है। विल्फर्ड उदास है और सुकुमारी मुख नीचा किये हुए है। सुकुमारी ने कनखियों से किशोर सिंह की ओर देख कर सिर झुका लिया ।
एलिस---( किशोर सिंह से ) बाबू साहब, आप इन्हें बैठने की इजाजत दें।
किशोर सिंह---मै क्या मना करता हूँ? एलिस---( सुकुमारी को देखकर ) फिर वह क्यों नहीं बैठती ?
किशोर सिंह---आप कहिये, शायद बैठ जायें।
विल्फर्ड---हां,आप क्यों खड़ी है ?
बेचारी सुकुमारी लज्जा से गड़ी जाती थी।
एलिस---( सुकुमारी की ओर देखकर) अगर आप न बैठेगी, तो मुझे बहुत रंज होगा।
किशोर सिंह---यों न बैठेगी, हाथ पकड़कर बिठलाइये।
एलिस सचमुच उठी, पर सुकुमारी एक बार किशोर सिंह की
ओर वक्र दृष्टि से देखकर हँसती हुई पास की बारहदरी में भागकर