जायंगे। दूसरी बात यह है कि आरकाटी लोग कुली फंसानेमे जो नीचतायें करते हैं उनको करनेके लिये देशभक्त ताताके कारखानेका छोटेसे छोटा नौकर भी उद्यत न होगा।
दूसरा अध्याय।
अभ्युदय।
पहले अध्यायमें आपने इम्प्रेस मिल और स्वदेशी मिलकी उन्नति देखी। उनके साथ साथ आपने ताता महोदय के परमोच्च विचार, अद्भुत संगठन शक्तिका भी अवलोकन किया। एक जन्म क्या, कई जन्मों में भी इतने बड़े बड़े काम होजायं तब भी बहुत हे, लेकिन ताता महोदयके आदर्शजीवन नाटकमें ये दो कारखाने प्रस्तावना मात्र थे। लोहेका कारखाना, बिजली घर तथा रिसर्च इन्स्टीट्यूट उस महापुरुषके महानाटकके तीन मनोरंजक और शिक्षाप्रद अंक थे। इनमेंसे कुछ दृश्य आरंभ होगये थे लेकिन कुछके अभी परदे भी नहीं उठ पाये थे, कि क्रूरकालने अंतिम ड्रापसीन समाप्त कर दिया। विचित्र वियोगांत नाटकका खेल दिखाकर ताता महोदय चले गये।
इस अध्यायमें लोहे और बिजलीके कारखानोंके वर्णन किये जायंगे। पहले लोहेके कारखानेके बारेमें लिखा जायगा। ताता महोदय बहुत दिनोंसे सोच रहे थे कि किस तरह लोहेका वृहद् व्यापार इस देशमें किया जाय। विदेशोंसे लोहा मंगाकर