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पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/२८

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जीवन चरित्र।


बेचनेवाले तो बहुतसे थे लेकिन देशमें खानोंसे लोहा निकालने की हिम्मत करनेवाले बहुत थोड़े थे। काम उठानेके पहले आपने इस बातकी तहकीकात की कि इस देश में लोहेकी खाने है या नहीं। अपने खर्चसे आपने बड़े बड़े विद्वानोंको तैनात किया, उनसे जांच करवाई और रिपोर्ट तैयार हुई। पता चला कि मोरभंजमें बहुत लोहा निकलनेकी संभावना है। मोरभंज बंगालकी एक उन्नतशील रियासत है। रयासतसे सहायताका वचन मिला। बंगाल नागपुर रेलवेने भाड़ा कम कर देनेका वादा किया। भारत सरकारने प्रतिवर्ष २० हज़ार टन साल खरीदनेकी जिम्मेदारी ली। सन् १९०७ ई॰ में २ करोड़ ३१ लाख रुपयोंकी पूंजीसे "ताता आइरन ऐण्ड स्टील कंपनी" की स्थापना हुई। दुःखकी बात है कि ताता महोदयके जीवनमें कंपनी कायम न होसकी। लेकिन उनके सुयोग्य पुत्रोंने आपके उद्देश्यों की पूर्तिकर पितृभक्तिका अच्छा परिचय दिया।

कम्पनीकी स्थापना होते होते रुपया इकट्ठा होने लगा। काम धूम धामसे चल निकला। रिपोर्टसे पता चलता है कि लगभग १५ हजार आदमी इस कारखानेमें काम करते हैं। देशके सिवाय इस कारखानेका माल विदेशों में दूर दूर तक जाता है। जापान भी इस कारखानेका ग्राहक है यह इस देशके लिये गर्वकी बात है। स्काटलैंड, इटली और फिलीपाइनने भी यहांसे माल खरीदा। हिन्दुस्तानी रेलवे कंपनियोंमें अधिकांशने अपने सामान ताता कारखानेसे मोल लिये हैं। सन् १९१३-१४ ई॰ में २३ लाखका