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जमसेदजी नसरवानजी ताता-
पश्चिमी घाटपहाड़पर जमा किया जाता है। वहांसे पहाड़के नीचे उतारा जाता है। पानीसे बिजली निकाली और बंबई पहुंचाई जाती है। वहां पहुंचने पर विद्युतदेवसे मजदूरोंका काम लिया जाता है। पानी तीन झीलोंमें इकट्ठा होता है। कुल १ लाख २० हजार घोड़ेकी ताकत (Horse Power) तैयार होती है। ३७ कारखानोंने कुल ५० हजार ताकतका ठीका लिया है। आशा है कि दूसरे कारखाने भी इस उद्योगसे लाभ उठावैंगे। कम्पनीके काममें सब तरहसे सफलता होरही है। सन् १९१६ ई॰ की पहली छमाहीमें खास हिस्सों पर ५ फीसदी मुनाफा दिया गया था। इतने बड़े काममें, इतनी जल्दी इतनी सफलता प्राप्त करना साधारण आदमियोंका काम नहीं है। यह सफलता देख कर निश्चय होता है कि भारतकी कला कारीगरीके उद्धारका यह महान् यत्न सफल होगा। परमात्मा दिन दिन इसकी उन्नति करें।