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पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/३७

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जमसेदजी नसरवानजी ताता-


हिसाब बैठता है, दस बीस लाखके फंड बिना कालेजका नाम ही लेना पाप है, अगर विश्वविद्यालय खोलना है तो कई करोड़ रुपये भीख मांगने पड़ेंगे। तिसपर भी पढ़ाई न तो अपनी मातृ भाषामें और ने अपनी मातृभूमिकी सेवा सिखानेवाली। विद्यारंभ करने पर पहले दरजेकी पहली किताबके पहले पाठके दो वाक्य रत्न मुझे अब तक याद हैं। उनमेंसे एक तो था "अंगरेज बड़े बहादुर होते हैं" और दूसरा था "गदहा बड़ा गरीब जानवर है।" हाई स्कूलके सबसे बड़े दरजेमें पहुंचकर मैंने पढ़ा था-"Codes of Manu are simple and rude but not cruel." मनुके कानून सादे और रूखे हैं लेकिन बेरहम नहीं हैं! कालेज क्लासोंमें शेक्सपियरके डाइन और भूत प्रेतोंकी शिक्षा बड़ी गंभीरतासे दी जाती है। अंतमें जीवनके २४ या २५ वर्ष समाप्त करके किसी तरह डिप्लोमा मिलता है। जब बैठकर सोचते हैं तो हृदय हताश होजाता है। इसमें सीखा क्या? क्या वेदोंके तत्वोंको कुछ भी समझ पाया, पुराणों के महत्वका नाम मात्रको भी ज्ञान हुआ, षड् दर्शनों में क्या एकके भी दर्शन हुए, आवागमन और कर्मके सिद्धांतोंसे क्या कुछ परिचय हुआ, आध्यात्मिक शिक्षा कितनी मिली और जीवात्मा परमात्माके रूपका दर्शन हुआ या नहीं, गार्हस्थ्य जीवन में प्रवेश करनेके पहले उपयुक्त शारीरिक बल प्राप्त किया या नहीं, कृषी विद्या के किसी नये आविष्कार द्वारा क्या हमने देश के कारकों को कुछ लाभ पहुंचाया, कारीगरोके किसी रहस्यको समझकर क्या देशके व्यवसायको