पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/४१

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जमसेदजी नसरवानजी ताता-


मालूम नहीं क्या क्या खाडालते हैं, मालूम नहीं अपनी आर्य्य सभ्यता और आर्य्य सदाचारको किस दरजे तक गिराते हैं।

इतना जानते हुए भी हमारे विद्वाननेता और देशहितैषी लोग क्यों आपको विलायत जानेकी अनुमति देते हैं। इसका कारण यह है कि विलायती जीवन जहां हमारे धार्मिक आदर्शों को धक्का पहुंचाता है वहां विलायत यात्रा हमारी राजनैतिक कठिनाइयोंको-यदि हम समझसे काम लें तो हल करती है। जैसे वैद्य अवसर पड़ने पर शोधन करके दवामें उचित मात्रासे विषका प्रयोग कर रोगीका कल्याण करता है, वैसे ही केवल सुधरे हुए और मर्यादाके भीतर रहनेवाले नव युवकोंको विलायत जाना चाहिये, ताकि वे बुराइयोंके शिकार बन अपने अमूल्य जीवन का नाशकर हमारे जातीय हितको हानि न पहुंचावैं। विद्वान, देश भक्त और दूरदर्शी ताताने सोचा कि गरीब लड़के प्रायः परिश्रमी और सदाचारी होते हैं। अगर उनका धनाभाव दूर कर उनको विदेशों में भेजा जाय तो वे बड़ा काम करेंगे।

इसी विचारसे आपने फंड कायम किया जिससे विदेश जानेवाले गरीब विद्यार्थियोंकी सहायताकी जाय। मैट्रिकुलेशन तथा उसके ऊपरकी परीक्षा पास किये हुए विद्यार्थों इसके लिये निवेदन कर सकते हैं। सिविल सर्विस, डाक्टरी, साहित्य और सांइस इत्यादि विषयोंके पढ़नेके लिये यह सहायता दी जाती है। फंडकी कमेटी सहायता प्राप्त विद्यार्थियोंके पठन पाठनकी निगरानी रखती है। काहिली या और किसी दुर्व्यसनमें पड़नेपर