पृष्ठ:जमसेदजी नसरवानजी ताता का जीवन चरित्र.djvu/५४

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जीवन चरित्र।


भारतवर्ष दुखी है। आपने कहा कि तातामें खास बात यह थी कि वे जिस कामको करते थे अच्छी तरहसे करते थे। आप जिस कामको उठाते थे विघ्नोंकी परवाह न करके आगे बढ़ते जाते थे। और जबतक कार्य सिद्ध नहीं होता था रुकते नहीं थे। आपने भी बतलाया कि मिस्टर ताताके सब कामों में उनका रिसर्च-इन्स्टीट्यूट प्रधान है।

रेवरेंड डाक्टर मैकीकनने एक सारगर्भित व्याख्यानमें ताता स्मारक बनवानेका प्रस्ताव पेश किया। आपने कहा कि ताताजीके स्मारककी आवश्यकता इसलिये नहीं है कि उन्होंने अपार धन पैदा किया बल्कि इसलिये है कि आपने धनका बहुत अच्छा उपयोग किया। ताताको भारतवर्षके औद्योगिक भविष्यमें बड़ा विश्वास था। बहुतसे लोग ख्याल करते हैं कि हिन्दुस्तान कलाकौशलमें संसारके बड़े बड़े देशोंका मुकाबिला नहीं कर सकता है। उनका निर्बल हृदय समझता है कि हमारा देश मर मरकर कच्चा माल पैदा करनेके लिये बनाया गया है और लैंकशायर और मैंचेस्टर उसको लेकर हमारी आंखों में धूल झोंककर, हमारे रक्तके कमाये पैसोंसे घर भरनेके लिये हैं। उनको डर है कि शायद हमेशा हमको विलायती कपड़े, जर्मनीकी पेंसल, तथा जापान और नारवेकी दियासलाई खरीदनी पड़े।

लेकिन ताताजी ऐसे लोगों में नहीं थे। आपका ख्याल था कि कोई वजह नहीं है कि जो काम दूसरे लोग कर सकैं हम न कर सके। स्वर्गीय मिस्टर ताताको चाहे हम व्यवसायी आदमी