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हिन्दीकी एकमात्र विख्यात पत्रिका सरस्वती लिखती है—"पुस्तक पढ़ने लायक है। कहानियों में स्वाभाविकता है और उनसे शिक्षा भी मिलती है। मनोरंजन भी खूब होता है।"
प्रसिद्ध राष्ट्रीय साप्ताहिक प्रताप लिखता है—"कहानियां अत्यन्त मनोरंजन और शिक्षाप्रद हैं। भाषासे प्रसाद गुण बरसा पड़ता है।
इसी प्रकार अभ्युदय हिन्दी चित्रमयजगत् आदि अनेक पत्र पत्रिकाओंने इस पुस्तककी तारीफ की है। ऐसी उत्तम, सुन्दर, सजिल्द पुस्तकका मूल्य केवल ।।।) आना है। थोड़ी प्रतियां बची हैं, जल्दी कीजिये।
नवनिधि—यह श्रीमान् प्रेमचन्दजीकी गल्पोंका दूसरा संग्रह है। इसमें ९ गल्पें हैं। अभी हाल में निकला है। इसकी गल्पें भी बड़ी ही सुन्दर और भाव पूर्ण हैं। लाला कन्नीमल एम॰ ए॰ जज धौलपुरने इन कहानियों को पढ़कर लिखा है :—"इन कहानियों के लेखक की जितनी प्रशंसाकी जाय कम है।" पुस्तकका मूल्य केवल ।।।//) आना।
महात्मा शेखसादी—यह भी श्रीमान् प्रेमचन्दजी की रचना है। महापुरुष शेखसादीका मनोरंजक और उपदेशप्रद जीवन चरित्र, उनका अनूठा भ्रमण वृत्तान्त, उनके जग प्रसिद्ध गुलिस्तां और बोस्तांक्षी उदाहरणों सहित आलोचना पढ़कर चित्त प्रसन्न हो जाता है। इसमें ऐसी अच्छी अच्छी कहावतें और नीति कथायें चुनकर दी गई है, कि पढ़कर सदा स्मरण रखनेकी इच्छा होती है। भाषा बड़ी सजीव है। पुस्तक आइवरी फिनिश कागज पर बहुत अच्छी छपी है। मूल्य ।//) आना।
हिन्दी पुस्तक एजेन्सी,१२६ हरीसनरोड,कलकत्ता।