पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

बारहवां वर्ष।

सन् १०२५।

माघ सुदी ३ सं० १६७२ ता. ११ जनवरी १६९६ से पौष सुदौ १ सं० १६७३ ता. २८ दिसम्बर मम् १६१६ तक।

____________

ईरानको सौगात।

८ बहमन (माघ सुदी ११) को ईरानको बादशाहको भेजी हुई.. एक अकोकको माला और कारवन्दीका की एक रकेची जो बहुत सुन्दर और उत्तम यो खाजा अबदुलकरौम व्यापारीके हाथ वाद- शाहको पास पहुंची।

भंवर जगतसिंहको विदा ।

१. बहमन (फागुन सुदी ११) को कुंवर बर्णका बेटा जगत सिंह अपने घरको बिदा हुआ। बादशाहने बीस हजार रुपये एक घोड़ा एक हाथी खिलभत और शाही दुशाला उसको दिया और उसके रक्षक हरदास झालाको भी पांच हजार रुपये घोड़ा और सिरोपाव इनायत किया। उसके हाथ सोनको छः परोपा रानाके वास्ते भेजी।

राजा सूरजमल ।

२० (चैत बदौ ६) को राजा वासूदा वेटा सूरजमल बादशाह की सेवा में उपस्थित हुआ। इसका राज्य कांगड़ेके पड़ोसमें था इस लिये सुरतिजाखांके साथ कांगड़ा फतह करनेको भेजा गया था परन्तु मुरतिजाखांको इससे कुछ सन्देह होगया था और उसने इसके वहां रहने में हानि देखकर बादशाहको कई अजियां भेजी धीं इससे बादशाहने इसे बुलाया था।


एक प्रकारका जड़ावका काम ।

पा इस वस्तुका कुछ व्योरा नहीं मिला।