२५२ जहांगीरनामा। बिहार और शिकारके लिये हासिलपुरको कूच करके गांव सांगोर में पहुंचा। वहांको हरियाली और आमोंकी छटाने उसको ऐसा मोहित किया कि तीन दिन तक वहीं रह गया। यह गांव केशो मारूसे छीनकर कमालखां किरावलको देदिया और फरमाया कि आजसे इसको कमालपुरा कहा करें। :: . . . .. शिवरात्वि। यहीं शिवरात्रि हुई। बहुतप्ते योगी जमा होगये थे। बाद- शाहने इस रात्निका विधान और विहान योगियोंका सत्संग किया। राजा मानका सारा जाना। __ राजा मानको वादशाहने कांगड़े पर भेजा था। जब लाहोरमें पहुंचा तो सुना कि संग्राम जो पञ्जाबके पहाड़ी राजोमसे था उसके राज्य में आकर कुछ विभाग उसका दबा बैठा है। ___राजा मान पहिले संग्राम पर चढ़कर गया। संग्राममें उससे लड़नेको शक्ति न थी। इसलिये उसके परगनोको छोड़कर बिकट पहाड़ोंमें जाछिपा । मान अभिमानसे आगे पीछेका विचार न करके उसकी तलाशमें गया और थोड़ेसे सैनिकोंसे उस पर जापहुंचा। वह भी बच निकलनेका मार्ग न पाकर लड़नेको आया। दैवसंयोग से एक पत्थर राजा मानके लगा जिससे उसके प्राण निकल गये। उसके साथी बहुतसे तो मारे गये और जो बाकी बचे वह घोड़े और हथियार छोड़कर बड़े कष्टसे निकल भागे ! बादशाहका कूच ! १७ (फागुन बदौ ३०)को बादशाह सांगोरसे तीन कोस चलकर हासिलपुरमें पहुंचा जो मालवेका प्रसिद्ध परगना है। वहां अंगूर और आमके वृक्षोंकी सीमा न थी। नदियां बह रही थीं अंगूर विलायतकी ऋतुसे बिरुद्ध इस ऋतु में भी यहां इतने आए हुए थे कि एक “पाजी, भी जितने चाहता उतने मोल ले सकता था। अफीमको क्यारियां भी खूब खिली हुई थीं। जिन में रंग
पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२६८
दिखावट